संपादकीय

पर्यावरण संरक्षण : चेतना, संस्कार व शिक्षा – संतोष पाण्डेय

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भारत में मानव व प्रकृति का संबंध सामाजिक व्यवहार, तिज-त्योहार, गीत-संगीत आख्यानों उत्सवों, मेलों (यथा कुंभ व महाकुंभ मेलो) के माध्यम से प्रकट होता है| भारत में जन्म से मृत्यु तक संपूर्ण जीवन में इसी पर्यावरणीय चेतना का भाव जगाये जाने की परंपरा व संस्कार है| ये सभी पर्यावरण संरक्षण के उपय ही है| पर्यावरण संरक्षण में स्वच्छता व निर्मलता का बड़ा योगदान है| देश में प्रत्येक भारतीय व्यक्तिगत आचरण व सामाजिक व्यवहार में इनके प्रति सदैव सचेष्ट रहते है| वे आन्तरिक व बाह्य प्रदूषण का परिहरण भारतीय संस्कृति द्वारा प्रदत संस्कारों से करते है| इससे पर्यावरणीय सन्तुलन…………..

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