मासिक लेख

शाश्वत जीवन में स्थापित सांस्क्रतिक मूल्य- डॉ. नन्द किशोर पाण्डेय

dec-08कुछ स्थापनाएँ जैसे-जैसे करनी वैसी भरनी, लोभ महापाप है, पुण्या सभी सुखो की खान है, पाप कर्म शुभ का उदय नही होने देते, भोगो से त्रप्ति नहीं होती, कामी जो भय और लज्जा नही होती, गुणियों का संसर्ग गुण देता है, शील परम भूषण है,कुछ स्थापनाएँ जैसे-जैसे करनी वैसी भरनी, लोभ महापाप है, पुण्या सभी सुखो की खान है, पाप कर्म शुभ का उदय नही होने देते, भोगो से त्रप्ति नहीं होती, कामी जो भय और लज्जा नही होती, गुणियों का संसर्ग गुण देता है, शील परम भूषण है,
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